किसी को कुछ समाज में आये
तो वो मुझे भी बताओ,
क्यू में ये ज़िंदगी बस
ऐसे ही गुजरता जाऊ |
दिन होता है कब तक होगा
एक ना एक दिन,
कभी इस्को भी
ढल जाना है |
एक काला सा अंधेरा है
जिसमे सबको गुम जाना है,
तो क्यू ना मैं इस ज़िंदगी
का दिया भुजा दूं |
ना मैं ख़ुद को कोई सज़ा दू
ना किसी से कोई दुआ लूँ ,
बस इस वक़्त के हर पल को
खवाबों की तरह भुला दु |
तो वो मुझे भी बताओ,
क्यू में ये ज़िंदगी बस
ऐसे ही गुजरता जाऊ |
दिन होता है कब तक होगा
एक ना एक दिन,
कभी इस्को भी
ढल जाना है |
एक काला सा अंधेरा है
जिसमे सबको गुम जाना है,
तो क्यू ना मैं इस ज़िंदगी
का दिया भुजा दूं |
ना मैं ख़ुद को कोई सज़ा दू
ना किसी से कोई दुआ लूँ ,
बस इस वक़्त के हर पल को
खवाबों की तरह भुला दु |
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