उफ़्फ़ येह जुल्फें तेरी जब भी सवरताँ हूँ ये ऊलघ सी जाती है क्यूंकि इन में मैं घुम हो जाता हूँ | उफ़्फ़ क्या तेरा उस दर्द को छुपाना वो आशुओं का रोक पाना तेरा हो सके तो पी जाओं बस इन्ही हसरतों में क्यू में जिये जाऊँ || उफ़्फ़ मार डालेगी तेरी ये जुदाई तेरी हाथों की ये चूडियाँ ये तेरे दिल का सुकून ये तेरी मेरे से दूरियाँ |
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