इक दिल है ये मेरी सुनता ही नहीं
ये लब भी मेरे इसको बोले कुछ नहीं
मुझसे बातें किया करता ये तनहा रातों को
फिर रोया करता याद कर भूली यादों को
क्यों धड़कता है तू किसी की चाह में
जब मिलना नहीं वोह तुझे ज़िन्दगी की राह में
कहता मेरी बातें अब जुबां पे मत लाना
किसी को भी अब मेरी बातें ना बताना
कहता की रहना नहीं इसे अब मेरे सीने में
जब मकसद ही ना रहा ये ज़िन्दगी जीने में
इक दिल यह मेरा दिल मेरी सुनता ही नहीं
अब लब भी इसे बोले कुछ नहीं...
ये लब भी मेरे इसको बोले कुछ नहीं
मुझसे बातें किया करता ये तनहा रातों को
फिर रोया करता याद कर भूली यादों को
क्यों धड़कता है तू किसी की चाह में
जब मिलना नहीं वोह तुझे ज़िन्दगी की राह में
कहता मेरी बातें अब जुबां पे मत लाना
किसी को भी अब मेरी बातें ना बताना
कहता की रहना नहीं इसे अब मेरे सीने में
जब मकसद ही ना रहा ये ज़िन्दगी जीने में
इक दिल यह मेरा दिल मेरी सुनता ही नहीं
अब लब भी इसे बोले कुछ नहीं...
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