एक दर्द सा दिल में होता है जब तोड़ के इसको जाये कोई | फिर टूटे इस दिल को समझाऊ कैसे अब रखना ना किसी से आस कोई | क्यों जीता फिर में वही आस लिए आईगी वोह फिर पास मेरे | रखेगी वोह मेरे काँधे पे सर फिर दर्द ना होगा साथ मेरे | पर दिल यह मेरा कहता है अब ना आना उस को लौट कर | सॊजा उसकी यादों के संग मौत की अब तू फरियाद कर |